He is the only one for
whom I have shown unashamed ‘fan-giri’. After a concert much to the amusement
and embarrassment of my husband and friends I sneaked into the green room
ducking through the security to talk to him. To listen to and be mesmerized by his voice in person. Hesitatingly I stood behind a few people who had surrounded him for
autographs. I awaited my turn. And then in a flash rest of the people were gone
and it was my turn. He looked directly and asked – aur aap ke liye? I mumbled something like how I am so fond of his
songs. He smiled and before he could move away, I pressed the ticket in his
hands. He wrote on it and said thank you to everyone and left. I clung on to
the paper like it was some prize winning lottery ticket.
He is the only one
whose autograph I have ever taken. On a little piece of paper that I have kept
safely. Because I also know that he is never going to give another autograph.
The next and the last time
I saw him in person was at an opening of an Art Gallery. This time we spoke for
a bit. A kind photographer at the event captured the moment for eternity.
I have often thought
as to why I feel so connected to him.
He did not know me.
But in my mind and heart he is one person who knew me very well. He has been
there when I have needed to listen to his soothing voice after feeling like
down in the dumps. The words he sang seemed to have been written only for me
when I have sometimes let the tears roll down my face. He has been a background
companion when we have spent many lovely evenings with friends. It is his voice
that accompanies me on my countless drives between cities. Much to the surprise
of many people I have his songs on my ‘run list’ too He has
shared my moods like a close friend or confidante.
(I am sharing a few of
his ghazals which are close to my heart)
ये जो जिंदगी की किताब हैं, ये किताब भी क्या किताब हैं
कही एक हसीन सा ख्वाब हैं, कही जानलेवा अज़ाब हैं
कही छाँव हैं कही धुप हैं कही और ही कोई रूप हैं
कई चेहरे इसमें छुपे हुये, एक अजीब सी ये नकाब हैं
कही खो दिया कही पा लिया, कही रो लिया कही गा लिया
कही छीन लेती हैं हर खुशी, कही मेहरबान बेहिसाब हैं
कही आसुओं की हैं दास्तान, कही मुस्कुराहटों का बयां
कही बरकतों की हैं बारिशें, कही तिश्नगी बेहिसाब हैं
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कभी-कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है,
जिन बातों को खुद नहीं समझे, औरों को समझाया है,
हमसे पूछो इज्ज़तवालों की इज्ज़त का हाल यहाँ,
हमने भी इस शहर में रहकर थोड़ा नाम कमाया है,
उससे बिछड़े बरसों बीते, लेकिन आज ना जाने क्यूँ?
आँगन में हँसते बच्चों को बेकार धमकाया है,
कोई मिला तो हाथ मिलाया, कहीं गए तो बातें की,
घर से बाहर जब भी निकले, दिन भर बोझ उठाया है.
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शायद मैं जिंदगी की सहर ले के आ गया
क़ातिल को आज अपने ही घर ले के आ गया
ता उम्र ढूँढता रहा मंज़िल मैं इश्क की
अंजाम ये के गर्द-ऐ-सफर ले के आ गया
नश्तर है मेरे हाथ में कांधों पे मैकदा
लो मैं इलाज-ऐ-दर्द-ऐ-जिगर ले के आ गया
'फाकिर' सनम मैकदे में न आता मैं लौटकर
इक ज़ख्म भर गया था इधर ले के आ गया
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मैं भूल जाऊं तुम्हे, अब यही मुनासिब है
मगर भूलाना भी चाहूँ तो किस तरह भूलूँ
कि तुम तो फ़िर भी हकीक़त हो कोई ख्वाब नहीं
यहाँ तो दिल का ये आलम है क्या कहूँ
"कमबख्त"
भुला सका ना ये वो सिलसिला जो था ही नहीं
वो इक ख्याल जो आवाज़ तक गया ही नहीं
वो एक बात जो मैं कह नहीं सका तुमसे
वो एक रब्त जो हम में कभी रहा ही नहीं
मुझे है याद वो सब जो कभी हुआ ही नहीं
अगर ये हाल है दिल का तो कोई समझाए
तुम्हें भुलाना भी चाहूँ तो किस तरह भूलूँ कि तुम तो फ़िर भी हकीक़त हो कोई ख्वाब नहीं
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वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ ना करे,
मैं तुझको भूल के जिंदा रहूँ, खुदा ना करे.
रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िन्दगी बनकर,
ये और बात, मेरी ज़िन्दगी वफ़ा ना करे.
सुना है उसको मुहब्बत दुआए देती है,
जो दिल पे चोट खाए मगर गिला ना करे.
ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में,
खुदा किसी को किसी से मगर जुदा ना करे.
खुदा किसी को किसी पर फ़िदा ना करे,
अगर करे तो क़यामत तलक जुदा ना करे.
मैं तुझको भूल के जिंदा रहूँ, खुदा ना करे.
रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िन्दगी बनकर,
ये और बात, मेरी ज़िन्दगी वफ़ा ना करे.
सुना है उसको मुहब्बत दुआए देती है,
जो दिल पे चोट खाए मगर गिला ना करे.
ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में,
खुदा किसी को किसी से मगर जुदा ना करे.
खुदा किसी को किसी पर फ़िदा ना करे,
अगर करे तो क़यामत तलक जुदा ना करे.
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मैंने दिल से कहा, ऐ दीवाने बता
जब से कोई मिला, तू है खोया हुआ,
ये कहानी है क्या, है ये क्या सिलसिला, ऐ दीवाने बता
मैंने दिल से कहा, ऐ दीवाने बता
धडकनों में छुपी, कैसी आवाज़ है
कैसा ये गीत है कैसा ये साज़ है,
कैसी ये बात है, कैसा ये राज़ है, ऐ दीवाने बता
मेरे दिल ने कहा, जब से कोई मिला
चाँद तारे फिजां, फूल भंवरे हवा
ये हसीं वादियाँ, नीला ये आसमान
सब है जैसे नया, मेरे दिल ने कहा
मैंने दिल से कहा, मुझको ये तो बता,
जो है तुझको मिला, उसमे क्या बात है
क्या है जादूगरी, कौन है वो परी, ऐ दीवाने बता
ना वो कोई परी, ना कोई महजबीं
ना वो दुनिया में सबसे है ज्यादा हसीं,
भोलीभाली-सी है, सीधी साधी-सी है,
लेकिन उसमे अदा एक निराली सी है
उसके बिन मेरा जीना ही बेकार है,
मैंने दिल से कहा, बात इतनी सी है,
कि तुझे प्यार है,
मेरे दिल ने कहा मुझको इकरार है,
हाँ मुझे प्यार है.
Jagjit Singh, you will always be on my Playlist…